बिसवास अउ आसथा के केन्द्र – दाई भवानी , विन्दवासिनी अउ बाबा बन्छोरदेव

इहां होथय सब के मनोकामना पूरन

banchor3लोकमत हे कि जुन्ना करेला गांव के ” डोंगरी ” म दाई भवानी आदिकाल ले बिराजमान हवै। पर एक ठन कहिनी घलोक बताये जाथे – गाँव पटेल महेन्द्रपाल सिंग के परदादा उमेंदसिंग कंवर गांव के मालगुजार रिहीन। उन हर जेठ के महीना म गांव के कुछ लोगन संग परछी म बइठे रिहीन उही बेरा एक कन्या अइस। ओकर देह भर बड़े माता रिहीस। ओकर चेहरा म तेज अउ माथ म चमक रिहीस। ओहर पड़रा कपड़ा पहिरे रिहीस। ओहर अपन नाव भवानी बतइस अउ मालगुजार उमेंदसिंग ल अपन रहै बर ठीहा मांगीस। उमेंदसिंग ओला अपनेच घर म ठिहा पाये के बात कहि गांव वाले मन संग गोठियाय लगीन। जइसे उंकर मन के गोठियाना खतम होइस। मालगुजार के धियान कन्या डहर गीस। कन्या दिखत नई रिहीस। उमेंदसिंग हड़बड़ा गे। ओहन उहां बइठे गांव वाले मन ल पूछिन पर गांव वाले मन के धियान घलोक नइ रिहीस कि कन्या कते कोती गीस होही। गांव भर चिहुर पर गे। तब कोनो गांव वाले – बताइस मंय ओला डोंगरी डहर जावत देखे हंव। सुन के मालगुजार उमेंद सिंग डोंगरी कोती दउड़िन उंकर संग गांव वाले मन घलोक। ओमन कन्या ल उपर डोंगरी म पइन। कन्या हर बास भीरा अउ चिरपोटी पेड़ के खाल्हे छइंहा म बइठे रिहीस।
मालगुजार उमेंदसिंह हर हाथ जोर के किहीस – महतारी, मंय तो आप ला अपन घर म रूके ल केहे रेहेंव। आप तो इहां आ गे हव। चलव मोर घर म …। तब वो कन्या किहीस – मालगुजार, मोर बर इही ठीहा बने हवै। मंय इही मेर बिसराम करना चाहत हवं।
banchor4भवानी दाई के बात ल उमेंद सिंग सुनीस। गांव वाले मन ल उही ठिहा म कुटिया बनाये के किहीस। गांव वाले मन कुटिया बनाये बर लकड़ी, बांस, रवई, पाना लाये बर चल परनिन, संग म मालगुजार घलोक। जब ओमन कुटिया बनाये के समान ले के अइन तब देखिन वो कन्या उहंा नई हे। ओ ठीहा म एक ठन पखरा हवै। ओ मन समझ गे के ऐहर दाई भवानी आवै। ओमन उही ठीहा म कुटिया बना दीन।
इहां एक ठन बात बताना अउ जरुरी हे। मालगुजार उमेंदसिंग के आधा ले जादा समे डोंगरी म बीते। बताये जाथे कि ओमन दयालु सुभाव के रिहीन , संगे संग करानतिकारी घलोक। इही कारन हे के उंनला फिरंगी मन ल छकाये बर डोंगरी के आसरा ले ल परे। ओमन लिखे पढ़ै घलोक। गांव वाले मन बताथे कि जब उंकर निधन होइस त उंकर चिता के संगे संग उंकर घर वाले मन बोरा – बोरा अइसन कागज जउन म उमेंदसिंग कुछु लिखे रिहीन जला दे गीस। ओमन लिखे पढ़ै ऐकर एक ठन परमान अउ रिहीस के उंकर घर ले चांद जइसन पतरिका घलोक पाये गीस।
NECHAY MAA BHAWANIगांव वाले मन के कहिना हवै कि जब गांव के कोनो मनखे ले कुछू गलती हो जावै तब भवानी डोंगरी म नगारा बाजै। नगारा के थाप के आवाज गांव तक पहुंचे। जेन ल पूरा गांव सुनै अउ समझ जावै कि ककरो न ककरो से कुछू न कुछू गलती होय हवै। ऐकरे सेती दाई भवानी सचेत करत हवै। गांव वाले मन दाई भवानी के सुरता करै। गांव डीही के पूजा करै। तब कहूं जा के नगारा के थाप रुकै। दाई भवानी के बारे में यहू बताये जाथे कि जब ककरो गाय – बइला गंवा जावै। ककरो लइका – बच्चा नई होवय या ककरो घर लइका बच्चा नई नांदे। ककरो लइका के बर बिहाव नई माढ़ै। अइसन मन अपन काम सिधाय बर एक ठन नरियर दाई भवानी ल बदे। नरियर बदते सांठ गंवाए गाय – बइला लि जावै। महिला के पांव गरु हो जावै। लइका नांदे लगे। लइका के बिहाव घलोक हो जावै। अतका फुरमानुक बताये जाथे दाई भवानी ल।
vindyvasni copyजुन्ना करेला के जेन डोंगरी म दाई भवानी बिराजमान हे ओला च्च् भवानी डोंगरी ज्ज् कहे जाथे। बीट करमाक 321 जउन 380 हेक्टेयर म बगरे ये डोंगरी के देख रेख बर डोंगरगांव बिकास खंड के गांव बकरकसा के फारेस्टर उइके के ड्यूटी लगीस। ये डोंगरी हर सुरक्षित डोंगरी आवै। ऐकर बाद भी उइके हर उही ठीहा म जिंहा दाई भवानी लुप्त हो गे रिहीन एक ठन मंदिर बनवइन। जेन मंदिर ल पूरा करे बर गांव करेला के माखन दाऊ अउ जैलू निषाद हर संग दीन। फेर कुछ दिन बाद भंडारपुर गांव के सेठ प्रकाश हर एक ठन दाई भवानी के मूर्ति भेड़ाघाट ले लइस अउ पूजा पाठ के संग उही मंदिर म पधरवइस। एक ठन मूर्ति पहिली ले रिहीस, दूसर मूर्ति आये ले उहां दू ठन मूर्ति हो गे।
banchorभवानी दाई के मंदिर म जाये पहिली ढारा – मोहारा चउक मिलथे। जउन ठेलकाडीही ले होवत जिला मुखालय राजनांदगांव ल जोरथे। रक्सेल कोती ले जउन सड़क आय हवै ओहर डोंगरगढ़ पहुचथे जिहां बमलई दाई बिराजमान हे। भंडार दिसा ले अवइया सड़क हर खैरागढ़ ल जोड़थे जिहां दंतेसरी दाई हवे। ढारा अउ मोहारा के चउक ल दंतेसरी चउक के नाव दे गे हे। दंतेसरी चउक करा ले पुरातात्विक महत्ता के पखारा म कलाकृति देखे ल मिल जथे। जिंहा उत्ती के सड़क के बाजू म एक ठन बड़ जान पीपर के पेड़ हवै। ओकर खाल्हे म पुरातात्विक महत्ता के कलाकृत्ति हे। इही ठीहा म एक ठन बोर्ड लगे हवै जेमा दाई भवानी के मंदिर पहुंचे के दिसा बताये गे हे।
दंतेसरी चउक ले भंडार डहर जाय ल परथे। आधा पउन किलोमीटर चले के बाद दू ठन सड़क मिलथे। दूनों आखिर म खैरागढ़ पहुंचथे पर एक ठन बढ़ईटोला होवत अउ दूसर भंडारपुर होवत। अब दाई भवानी के मंदिर जाये बर भंडारपुर वाले सड़क ल धरे ल परही। फेर मिलथे नवा अउ जुन्ना करेला चउक। उत्ती कोती नवा करेला हे अउ बूढ़ती कोती जुन्ना करेला। जेमा बुढ़ती कोती के रददा ल धरे ल परही। जइसे – जइसे गोड़ आघू बढ़थे। डोंगरी के प्राकृतिक छटा अपन डहर खींचे के काम करथे। अउ धीरे धीरे भगत मन पहुंच जाथे खाल्हे मंदिर मेर जिंहा घलोक दाई भवानी बिराजमान हे। ऐकर बाजू ले निकले हवै एक ठन रद्दा जेन ल धर के आगू बढ़े म पहिली मिलथे नाग मंदिर अउ फेर मिलथे राधा किसन मंदिर। इही मंदिर मेर ले सुरु होथै दाई भवानी के मंदिर म पहुंचे बर चढ़ाव।
banchor baba1पहिली इहां सीढ़ी नई रिहीस। पखरा म गोड़ रख के अउ डारा पाना ल सहारा ले के भगत मन ऊपर चढ़ौ पर अब सीढ़िया बन गे हे। सीढ़ी चढ़हत – चढ़हत भगत मन पहुंच जाथे ओ ठिहा म जिंहा बराबर भुइयां हवै। ऐ मेर चारो खूंटा ल देखे ल अइसे लगथे मानो सतपुड़ा के घनघोर जंगल म पहुंच गे हन। इहां ले डंगोरा बांध, खैरबना बांध, भंडारपुर बांध दिखथे।
ऐ मेर ले फेर थोरिक डोंगरी चढ़े ल परथे अउ भगत मन पहुंच जाथे दाई भवानी के मंदिर मेर। उहां एक ठन दीया हवै जउन हर बारो महिना जलत रहिथे। ओहर अखण्ड जोती आवै। मंदिर ले कुछ दूरिहा म एक ठन चौरा हवे जेमा नदिया बइला हे। इही मेर हूम धूप, खप्पर अउ संगे म एक ठन हाथी घलोक माढ़े हे। इही मेर बजरंगबली के मूर्ति घलोक हवै ओकरे बाजू म एक ठन तुलसी चौरा हवै। दाई भवानी मंदिर के बाजू म जोती कक्ष हवै जिंहा हर बरस कुंवार अउ चइत महिना म मनोकामना जोती भगत मन जलवाथे। मंदिर के पास दाई के झूलना हे। ऐकर पाछू म तिरसूल, बाना, तराजू खंजर अउ खड़उ माढ़े हे।
banchor baba2जुन्ना करेला ले लगे हे गांव बनबोड़। बनबोड़ अउ जुन्ना करेला के बीच म हवै भंडारपुर बांध। बनबोड़ बस्ती ले बूड़ती दिसा म बिराजमान हवे बाबा बन्छोर देव। इहचो चइत अउ कुंवर महिना म मनोकामना दीया बारे जाथे। बाबा बन्छोर देव के बारे में कहे जाथे कि छैमासी रात म इही रद्दा ले बाबा बन्छोर देव अपन दल बल संग निकलत रिहीन। ओमन इही ठीहा म पहुचिन कि छैमासी रात खतम होगे अउ बिहिनिया होगे। ऐकरे सेती ऐमन आघू नइ बढ़ पाइन अउ पखरा बनगे। ऐ मूर्ति मन ल पनदरहवीं – सोलहवीं ईसा पूर्व बताये गे हे। एक ठन बात अउ आवै। गांव बनबोड़ के लोग मन मूर्तिकला के पारंगत रिहीन। ओमन खाली समे म डोंगरी जावै अउ उहां पखरा म मूर्ति उकेरे। ऐकर परमान घलोक हवै। इहां अभी घलोक कुमहार पारा हवै। जिंहा के मूर्ति बनइया मन के नाव परदेस भर हवै। बन्छोर बाबा तक पहुंचे ले पहिली रावन भाठा परथे। जिंहा हर साल बन्छोर बाबा के पूजा पाठ बाद गांव वाले मन इही ठीहा म आथे अउ रामलीला बाद रावन बध होथे।
बनबोड़ के भुरभुसी डोंगरी मेर ले एक ठन रद्दा निकले हवै जेन हर कोपेनवागांव पहुंचथे। उहां के डोंगरी म दाई विन्ध्यवासिनी बिराजमान हे। इहचो कुंवार अउ चइत महिना म मनोकामना जोती जलाये जाथे। पूरा कुंवार अउ चइत के महिना म ऐ क्षेत्र म धार्मिक बातावरण रहिथे। अउ दूर दूर ले भगत मन अपन मनोकामना पूरन करे बर मुड़ नवाय ल इहां आथे।
Sarved1-223x300जिंहा दाई भवानी मंदिर जुन्ना करेला आज छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीरथ जघा अउ शक्तिपीठ के रुप में ख्याति पावत हवे उहें बाबा बन्छोर देव के जघा घलोक पुरातात्विक महत्ता के जघा के रुप म जाने जावत हे। ये ठीहा अइसे हवय जिंहा भगत मन के मन म आसथा अउ बिसवास हवै।

सुरेश सर्वेद
सांई मंदिर के पीछे
वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर
[राजनांदगांव]
मोबा : 9424111060

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